दिल्ली और एनसीआर में शारदा अस्पताल एक ऐसा सुपर स्पेशियलिटी 1200 प्लस बेड का अस्पताल है जो कार्डियो, न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, नेफ्रोलॉजी आदि में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल और उपचार प्रदान करता है। इतना ही नहीं हमारे अस्पताल के कर्मचारी मरीज की देखभाल परिवार की तरह करते हैं। यही कारण है कि यहां की ओपीडी में रोजाना 2000 से 2500 लोग अपना उपचार कराने आते हैं। कोरोना जैसी महामारी में हमारी सेवाओं और सुविधाओं को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने शारदा अस्पताल को इलाज के लिए चुना और इसे एल3 श्रेणी में रखा, जो बहुत ही गौरव की बात है।
105 वर्षीय अफगानी महिला को दिया जीवनदान
105 साल की बुजुर्ग अफगानी महिला ने कोरोना को मात दी। अफगानिस्तान की मूल निवासी महिला अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित थीं। उनकी तबीयत खरीब होने पर उनकी कोरोना जांच कराई गई। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें शारदा अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उन्हें 15 दिनों तक रखकर उनका इलाज किया गया। इस उम्र में भी उन्होंने कोरोना को मात देकर कोरोना को जानलेवा समझने वालों के सामने उदाहरण पेश किया। सफल इलाज के लिए न केवल परिवार वालों ने बल्कि जिला प्रशासन की टीम ने भी अस्पताल प्रबंधन को बधाई दी।
शारदा अस्पताल में जनरल मेडिसीन, सर्जरी, आंख, आर्थो, न्यूरो, गायनी, कार्डियोलॉजी, स्किन, इंटरनल मेडिसीन आदि विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स अपनी सेवा देते हैं। यहां पर जटिल से जटिल से ऑपरेशन होता है। हाल में नोएडा में पहली बार नसों के जरिए बिना चीरा किडनी में छल्ले डालकर एक नाबालिग की जान बचाई गई। इस मुश्किल और जटिल ऑपरेशन में कार्डियोलॉजी और यूरोलॉजी के एक्सपर्ट डॉक्टरों ने अपना योगदान दिया।
ग्रेटर नोएडा में आईवीएफ से पहले बच्चे का जन्म
ग्रेटर नोएडा में आईवीएफ तकनीकी से पहले बच्चे का जन्म शारदा अस्पताल में हुआ। मूलरूप से हरियाणा की रहने वाली महिला ने मंगलवार रात एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
मूलरूप से हरियाणा की रहने वाली एक 33 वर्षीय महिला दिल्ली एम्स में अपना इलाज करा रही थी। वहां पर डेट मिलने में दिक्कत होने की वजह से वह एनसीआर और दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में चक्कर लगाती रही। उसे एम्स से ही शारदा अस्पताल के बारे में बताया गया। फरवरी में यहां आने के बाद उसका विधिवत इलाज शुरू कर दिया गया। इलाज के दौरान जो भी प्रोसिजर्स हुएए वह काफी सफल रहे। महिला का गर्भधारण करने में कुछ समस्याएं थीं। हमलोगों ने आधुनिक तकनीकी का सहारा लेकर इलाज करना शुरू किया। इससे महिला ने गर्भधारण किया। डिलिवरी से पहले तक लगातार स्कैन कर मॉनिटरिंग की गई। कुछ सप्ताह बाद यह पुष्टि हुई कि बच्चे का विकास प्राकतिक तरीके से हो रहा है। मंगलवार की रात महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
शारदा के डॉक्टरों ने पैरों में जान ला दी
शारदा अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट ने चलने में असमर्थ बुजुर्ग के पैरों में न केवल स्टंट डाला बल्कि सफल ऑपरेशन कर उन्हें चलने फिरने के लायक बना दिया।
फरीदाबाद निवासी 64 साल के बुजुर्ग को चलने में काफी दिक्कत हो रही थी। वह एक बार में पांच कदम नहीं चल सकते थे। उन्होंने फरीदाबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया तो उनके हार्ट में स्टंट डाल दिया गया। इसके बाद भी परेशानी ज्यों की त्यों बनी रही। फिर उन्होंने शारदा अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाया। जांच में पता चला कि समस्या हार्ट में नहीं बल्कि पैरों में थी। कमर के नीचे जाने वाले नस में ब्लॉकेज थी। उन्होंने पूरी जांच के बाद बाएं हाथ को पंक्चर वहां से नीचे की ओर से ब्लॉकेज खोलने का प्रयास किया और दूसरी तरफ नीचे से पैरों में ब्लॉकेज खोला गया। इसके बाद पल्स मिलने पर स्टंट डाला गया। स्टंट डलने के बाद मरीज की हालत में काफी सुधार है।
लोगों को करते हैं जागरूक
ग्लूकोमा ;काला मोतियाद्ध से लोगों को जागरूक करने के लिए शारदा अस्पताल की ओर से समय समय पर कई कार्यक्रम किए जाते हैं। इसमें नुक्कड नाटक और पोस्टर मेकिंग के जरिए यह बताया जाता कि आपकी थोडी सी लापरवाही कैसे भारी पड सकती है।
दूसरे राज्यों में भी देते हैं सेवा
देश के दूर दराज इलाकों में लोगों को अस्पतालों से जुड़ी सेवा देने के लिए रेलवे ने एक ट्रेन को ही अस्पताल का रूप दे दिया है। इस ट्रेन को लाइफ लाइन एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता है। पटरी पर चलता फिरता यह अस्पताल लोगों के लिए काफी फायदेमंद और लाभदायक साबित हो रहा है। ग्रेटर नोएडा के लिए गर्व की बात है कि शारदा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ डेंटल साइंस के डॉक्टरों को सेवा करने का मौका मिला। यहां के डॉक्टर्स दूर दराज के मरीजों का उनके घर पर ही इलाज कर रहे हैं। स्कूल ऑफ डेंटल साइंस के डॉक्टरों ने ग्रामीण इलाके के लोगों की बड़ी सेवा की। लाइफलाइन एक्सप्रेस ट्रेन सीतामढी के बाजपटृटी स्टेशन पर लोगों के दंत रोग दूर किए।
हर आपदा और बीमारी में तैयार रहता है अस्पताल
कोरोना के अलावा डेंगू, मलेरिया और टाइफायड जैसे रोग की रोकथाम में भी अस्पताल के डॉक्टर्स चटटान की तरह सेवारत रहते हैं। इन दिनों डेंगू और मलेरिया के काफी मामले सामने आ रहे हैं। हमारे यहां इन बीमारियों का उपचार करने के लिए डॉक्टरों की पूरी फौज तैयार है। इतना ही नहीं गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए स्पेशल वॉर्ड तक बने हैं।
पैथ लैब की सुविधाएं
पैथ लैब कोविड आरटीपीसीआर जांच केंद्र में कोविड की जांच की जाती है। इसके अलावा तमाम तरह के ब्लड और अन्य टेस्ट किफायती दरों पर किए जाते हैं। घर में जाकर सैंपल लेने की सुविधा भी दी जाती है। इन सुविधाओं के अलावा एक्स रे, सीटी स्कैन, अल्टासाउंड, एमआरआई की आधुनिक मशीनों से जांच की जाती है। हमारे कुछ ऐसे उपकरण हैं जो अपने आप में दूसरों से अलग हैं।
विदेशी मरीज भी आते हैं
यहां की आधुनिक सुविधाओं को देखते हुए विदेशों से भी मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। शारदा अस्पताल में दक्षिणी अफ्रीकी देशों के अलावा अफगानिस्तान, उजबेकिस्तान और यूरोशिया के देश से भी मरीज अपना उपचार कराने आते हैं। एक मरीज ठीक होने के बाद जब अपने घर जाता है तो वह यहां की सुविधाओं और सेवाओं को देखकर दूसरों को भी यहां आने के लिए प्रेरित करता है। यही हमारे यहां की खासियत है।