14 दिसंबर 1957 को किदवईनगर में भारत सेवक समाज के माध्यम से एक नुमाइश का आयोजन कराया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश में मसाला उद्योग का जन्म हुआ। इसी के बाद अशोक मसाले ने छोटे पाउच (सैशे) निकाल इतिहास रच डाला। सब्जी मसाले के छोटे पाउच लॉन्च करने के पीछे तर्क बस इतना सा था कि गरीब मजदूर प्रतिदिन डेढ़ से दो रूपए कमाकर आता है, वह शाम को जब सुकून की दो रोटी खाए तो उसमें कम से कम शुद्ध मसालों का स्वाद मिल सके। कंपनी के डायरेक्टर अंचल गुप्ता बताते हैं कि ग्राहकों के अटूट विश्वास के दमपर पिछले 65 वर्षों से अशोक मसाला यूपी, उत्तराखंड, एमपी, बिहार, झारखंड, नई दिल्ली,असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा,महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर की हर घर की किचन का किंग बना हुआ है।
अंचल गुप्ता वर्तमान में अशोक मसाले के डायरेक्टर हैं। वह गुणवत्तायुक्त उत्पाद उपलब्ध कराने में विश्वास रखते हैं। अशोक मसाले की प्रगति के विषय में बताते हुए वह कहते हैं कि अशोक मसाले की शुद्धता की सुगंध जैसे- जैसे उपभोक्ताओं में फैलती गई वैसे-वैसे मांग व पूर्ति के लिए बड़ी ग्राइंडिंग व ऑटोमैटिक पैकिंग मशीनों का उपयोग उत्पादन बढ़ाने में किया जाने लगा। अशोक मसाले को बाजार में लाना तो व्यवसायिक था लेकिन इसका मकसद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कुटीर उद्योग की परिकल्पना को साकार करना था। इसलिए कंपनी से जुड़े सभी लोगों ने कभी भी प्रोडक्ट की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया।
बचपन के सपने ने जीवन को दी एक नई दिशा- अंचल गुप्ता
कंपनी के डॉयरेक्टर अंचल गुप्ता ने बचपन में ही व्यापार जगत में कुछ करने की ठान ली थी। इस सपने को ना केवल उन्होंने जिया बल्कि अपनी मेहनत और लगन के दमपर हासिल भी किया। उनका मानना है कि शुरूआत से ही घर में व्यवसायिक माहौल होने की वजह से उनका लगाव भी व्यापार जगत में बढ़ता चला गया। साथ ही उन्होंने अपने करियर की दिशा और दशा भी इसी क्षेत्र में तय की।
डॉयरेक्टर अंचल गुप्ता ने ग्रेजुएशन कानपुर से पूरी करने के बाद साल 2000 में अपने व्यवसायिक करियर की शुरूआत की। परिवार में बचपन से ही व्यवसायिक गतिविधियां संचालित थीं। इसलिए प्रारंभिक जीवन व्यवसाय के साये में ही गुजरा। अशोक मसाले के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं कि यह कंपनी एक संगठित परिवार है। हमलोग अपनों से बड़ों का सम्मान व छोटों को प्यार करते हैं। यही हमारी मजबूत नींव का कारण है।
अंचल गुप्ता ने इस बात पर चर्चा करते हुए कहा कि परिवार में बाबा स्वर्गीय किशोरी लाल गुप्ता व पिता श्री सुरेशचन्द्र गुप्ता अशोक मसाले के व्यवसाय से जुड़े थे। इसलिए बचपन से ही अशोक मसाले को सफलता के शिखर पर ले जाने का दृढ़ संकल्प इन्होंने अपने मन में कर लिया था। यही वह कारण था जिस वजह से अशोक मसाले के प्रति इनका लगाव बढ़ा और अनन्त: यह इस कंपनी से जुड़ गए।
भविष्य में फैक्ट्री को नई ऊचाईंयों तक ले जाने का सपना
अंचल गुप्ता बताते हैं कि अशोक मसाले की शहर, राज्य और राष्ट्र स्तर पर अधिक डिमांड होने के कारण मांग की पूर्ति हेतु अत्याधुनिक ऑटोमैटिक मशीनें व अतिरिक्त फैक्ट्री के निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं। हम लगातार मेहनत करते रहेंगे और कंपनी को बुलंदियों पर ले जायेंगे।
अंचल गुप्ता कहते हैं कि युवा अपनी पढ़ाई पूरी करने के पश्चात लघु व कुटीर उद्योग में आ सकते हैं, ताकि वह सेल्फ डिपेन्ड होकर दूसरों को रोजगार देने में सहायक बनें। युवाओं से अंचल गुप्ता का यही कहना है कि जो भी करें, अपनी, समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए करें। मेहनत और लगन से लक्ष्य की प्राप्ति करें।
अंचल बताते हैं कि अपने व्यवसायिक जीवन में वह प्रतिदिन कुछ नया सीखने का एक भी मौका गंवाना नहीं चाहते। वह हर पल कुछ न कुछ नया सीखने में विश्वास रखते हैं
अशोक मसाले की है अपनी विशेषता
अशोक मसाले सफलता के 65 वर्ष पूर्ण कर चुका है। अंचल कहते हैं कि हमने उपभोक्ताओं को श्रेष्ठतम व उच्च गुणवत्ता के मसाले उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया है। इसी बुनियाद पर आज अशोक मसाला पनप रहा है। अशोक मसाले ब्रान्ड अब राष्ट्र स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है।
अंचल गुप्ता ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए उपभोक्ताओं को श्रेष्ठतम और उच्च गुणवत्ता के मसाले सदैव उपलब्ध कराने को ही अपने जीवन का उद्देश्य बनाया है।
अशोक मसाले द्वारा किए जाने वाले सामाजिक कार्य
अंचल गुप्ता ने अशोक मसाले समूह द्वारा की जाने वाली सामाजिक कार्यों पर परिचर्चा करते हुए कहा कि कंपनी उत्पादन के साथ-साथ लोगों को रोजगार तो मुहैया करा ही रही है, साथ ही साथ इसके द्वारा प्रतिवर्ष गरीब व असहाय लोगों को वस्त्र वितरण, निशुल्क नेत्र शिविर, मुफ्त दवा वितरण जैसे कार्य निःस्वार्थ भाव से किए जा रहे हैं। चैरिटेबल अस्पताल चलाए जा रहे हैं, जिससे गरीब व असहाय लोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं।
(इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति/संस्थान की है।)